प्रमुख कीटनाशी :
निकोटीन (Nicotine), फेरोमोंस (Phero-mones), कोक्सीमिलिडम (Cocsimilidum), सायरफिड (Sairefid), टाइकोग्रेमा, इपीपाइरोपस आदि। इसके अतिरिक्त न्युक्लियर पॉली, ड्रलवाइरस तथा वियोचेटिना बीविल प्रभावी जैविक नियंत्रक है। प्रमुख कवक नाशक : बार्डोपेस्ट, फाइटोलान, ब्लिमिक्स मिकाप, क्यू-प्रोसान, मरकरी क्लोराइड, एग्रोसान जीएन एरिटान, इर्वेसान, हेक्सेसान, डाइथेन-78, कैण्टान आदि।
रोगरोधी एवं संगरोधी फसलें:
भारत में विषाणुओं से हो वाले रोगों की रोकथाम के लिए जैव प्रौद्योगिकी का तेजी से इस्तेमाल हो रहा है। विषाण जनित रोगों के प्रति पहली प्रतिरोधी फसल 1986 में तम्बाकू (Tobacco) की तैयार की गयी थी। इसमें (T.. bacco Mosaic Virus, (TNV) के आवरण प्रोटीन को नष्ट करने वाले जीन को प्रविष्ट कराया गया था। इसके अतिरिक्त देश में पपीते के रिंग स्पॉट वायरस (Ring Spot Virus) खीरे और टमाटर के मोजैक वायरस (Mosaic Virus), आलू के पतमोड़क तथा एक्स और वाई वायरस के विरुद्ध विषाण के ऊपरी आवरण को नष्ट करने वाले जीन का पिछले दिनों सफल परीक्षण किया गया है।
सूखारोधी फसलें :
सूखा से फसलों को बचाने के लिए वैज्ञानिकों द्वारा सूखारोधी फसलों का विकास किया गया है। जब किसी फसल में सूखारोधी या लवणतारोधी जीन डाल दिया जाता है तब ऐसी फसलें प्राकृतिक रूप से लाभकारी प्रोटीन पैदा करने लगती हैं। ये प्रोटीन हैं—एल. ई. प्रोटीन, आरएवी प्रोटीन, डिहाइड्रिन, एच. एस. प्रोटीन, ओस्मोटिन, एनोक्सिन आदि। अभी तक इन प्रोटीनों को पैदा करने वाले जीन धान, टमाटर, और आलू में डाले गए हैं।