अक्षांश एवं देशान्तर
- पृथ्वी की आकृति GEOID है जिसे पृथ्वीब्याकार भी कहते हैं।
- पृथ्वी पर 7o.9% जल एवं 29.1% पर स्थल है।
पृथ्वी के उत्तरी ध्रुव से इसकी गति का अवलोकन करने पर यह Anti-clock Wise घूमती प्रतीत होती है। जबकि दक्षिणी ध्रुव पर से अवलोकन करने पर Clock Wiseघूमती प्रतीत है। तथा जब हम इसका अवलोकन पृथ्वी के बाहर खड़े होकर करते हैं तो यह पश्चिम से पूरब की ओर घूर्णन करती हुई प्रतीत होती है जिससे यह माना जाता है कि पृथ्वी पश्चिम से पूरब की ओर गति करती है।
(अपसौर) :- पृथ्वी सूर्य का चक्कर एक दीर्घ वृत्ताकार पथ पर लगाती है जिससे पृथ्वी और सूर्य के दूरी के बीच दो स्थिति आती है। एक जब पृथ्वी सूर्य के नजदीक होती है और एक जब सूर्य पृथ्वी से दूर होता है।
जब पृथ्वी सूर्य से दूर स्थित होती है तब अपसौर की स्थिति होती है। इस समय सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी 15 करोड़ 7 लाख कि0मी0 होती है और यह स्थिति 4 जुलाई को होती है।
(उपसौर) :- जब पृथ्वी सूर्य से नजदीक होकर गुजरती है तो उपसौर की स्थिति बनती है। तब पृथ्वी और सूर्य के बीच दूरी 14 करोड़ 7 लाख कि0मी0 होती है। यह घटना 3 जनवरी को घटती है।
- पृथ्वी अपने Vertical Axis (उर्ध्वाधर) से 23.5º का झुकाव तथा अपने Horizontal Axis से 66.5º का झुकाव रखती है।
Latitude (अक्षांश)
अक्षांश भू-पृष्ठ पर किसी भी स्थान की वह कोणात्मक दूरी है जो विषुवत रेखा के उत्तर तथा दक्षिण, अंक्षों (0) में पृथ्वी के केन्द्र से मापी जाती है।
अक्षांश रेखा :- विषुवत रेखा के उत्तर एवं दक्षिण समानान्तर समान अक्षाशों को मिलाने वाली रेखा को अक्षांश रेखा कहते हैं।
- अक्षांश रेखा पश्चिम से पूरब खींची गयी काल्पनिक रेखा है।
- अक्षांश रेखायें पृथ्वी पर क्षैतिज होती हैं।
- ध्रुव तारा इसके उत्तरी ध्रुव से हमेशा दिखता है। उत्तरी ध्रुव पर धु्रवतारा 90º का कोण बनाता है। भू-मध्य रेखा पर धु्रव तारे का आपतन कोण 0º पाया जाता है। इसलिए इसे शून्य अक्षांश रेखा भी कहते हैं। इसी प्रकार दक्षिणी ध्रुव पर Cross Star 90º का कोण बनाता है तथा भू-मध्य रेखा पर आपतन कोण 0º बनाता है।
- पृथ्वी के ध्रुवीय परिधि 40,0008 K.m है तथा एक गोलार्द्ध 20,009 K.m है।
- अक्षांश की बीच की दूरी 111.13 K.m है।
- अक्षांशों की संख्या (ग्लोब पर) 180 होगी और अक्षांश रेखाओं की संख्या 179 होगी।
- ग्लोब पर अक्षांश रेखाओं का संख्यात्मक मान 0º-.90º N तथा 0º-.90º होती है।
- विषुवत रेखा एक ऐसी अक्षांश रेखा है जो पृथ्वी को दो बराबर भागों में बांटती है। इसीलिए इसके Great Circle कहा जाता है। इसी प्रकार उत्तरी गोलार्द्ध को 60º उत्तरी अक्षांश रेखा तथा दक्षिणी गोलार्द्ध को 60º दक्षिणी अक्षांश रेखा दो बराबर भागों में बांटती है।
- विषुवत रेखा से उत्तरी ध्रुव की तरफ अक्षांश रेखाओं की कोणीय दूरी बढ़ती जा रही है। लेकिन अक्षांश रेखाओं की लम्बाई कम होती जाती है इसीलिए भू-मध्य रेखीय क्षेत्र के आस-पास के क्षेत्र को निम्न अक्षांश और ध्रुवीय क्षेत्र के आस-पास के क्षेत्र को उच्च अक्षांश कहा जाता है।
- विषुवत रेखा के अतिरिक्त सभी अक्षांष रेखायें Small Circleकहलाती है।
- 60º की अक्षांश रेखा विषुवत रेखा की लगभग आधी होती है। दो अक्षांश रेखाओं के बीच के क्षेत्र को Zone (पेटी या मेखला) कहते हैं।
कुछ महत्वपूर्ण अक्षांश रेखायें :-
- 0º Equator line भू-मध्य रेखा, विषुवत रेखा, कहा जाता है।
- 23.5º N- को Trapied of Cancer (कर्क रेखा)
- 23.5º S- को Trapied of Capricor (मकर रेखा)
- 66.5º N- Arctic Circle (आर्कटिक वृत्त)
- 66.5º S को Antarcatic Circle (अंटार्कटिक वृत्त)
देशान्तर :- देशान्तर किसी स्थान की विषुवत रेखा पर वह कोणात्मक दूरी है जो प्रधान देशान्तर से पूरब या पश्चिम अंशों (0) में मापी जाती है।
देशान्तर रेखा :- प्रधान देशान्तर के पूरब या पश्चिम प्रधान देशानतर के समानान्तर समान देशान्तरों को मिलाने वाली रेखा को देशान्तर रेखा कहते हैं।
- देशान्तर रेखाओं का संख्यात्मक मान 0º-.180º w होता है।
- ग्लोब पर देशान्तर रेखाओं की संख्या 360 होगी। 0 तथा 180 को न पूरब व न ही पश्चिम लिखा जाता है।
- 0ºदेशान्तर रेखा प्राचीन काल में (ग्रीनविच निर्धारण के पूर्व) भारत के उज्जैन शहर से होकर गुजरती थी।
- पृथ्वी की विषुवतीय परिधि 40,076 किमी0 है।
- 1º के बीच की दूरी 111.32 ज्ञण्उण् विषुवत रेखा पर होगी। तथा Northछवतजी तथा South Pole की तरफ जाने पर यह दूरी घटती जाती है।
- देशानतर रेखाओं में सभी देशान्तर रेखायें बृहद् वृत्त है।
- ग्लोब पर 180 बृहद वृत्त होते हैं।
- भारत का अक्षांशीय विस्तार 8º 4 N से 37º 6, N तक तथा देशान्तरीय विस्तार 68º ‘7, E से 97º ’25, E मक है।
- भारत की उत्तर से दक्षिण लम्बाई 3214 K.m है। तथा पूरब से पश्चिम लम्बाई 2833 K.m है।
- भात के अक्षांश देशान्तरीय विस्तार लगभग समान होते हुए भी उत्तर-दक्षिण एवं पूर्व पश्चिम की लम्बाई में अन्तर होने का कारण विषुवत रेखा से North या South चलने पर देशान्तरीय रेखाओं के बीच की दूरी का कम होना है।
- दो देशान्तर रेखाओं की बीच की दूरी को गोरे (Gore) कहते हैं। जिसकी आकृति संतरे की फाॅकी की तरह होती है।
कुछ महत्वपूर्ण देशान्तर रेखायें :-
1- 0º देशान्तर :- इस देशान्तर को प्रधान देशानतर कहते हैं यह रेखा ब्रिटेन में स्थित ग्रीन विच बेधशाला के पास से होकर गुजरती है इसीलिए इसे ग्रीनविच रेखा कहा जाता है।
- इसे अन्र्तराष्ट्रीय मानक समय रेखा कहते हैं।
180º देशान्तर :- जिस प्रकार विश्व में समय का निर्धारण 0º से किया जाता है उसी प्रकार विश्व की तिथियों का निर्धारण 180 देशान्तर रेखा से किया जाता है इसीलिए इसे कहा जाता है।
- समय और तिथि का परिवर्तन दो प्रकार से होता है। समय के अनुसार 12 बजे अद्धरात्रि को दिन परिवर्तित हो जाता है।
- स्थान के अनुसार दिन का परिवर्तन तब होता है जब हम 1800 देशान्तर रेखा को पूर्व या पश्चिम पार करते हैं।
विभिन्न माध्यमों पर देशान्तर रेखा :-
90º से किसी भी अक्षांश का अन्तर सह अक्षांश कहलाता है तथा सह अक्षांश से कोई दिशा N.S हीं लिखा जाता है जैसे-30º North का सह अक्षांश 90º- 30º = 60º होगा।
1- किसी भी स्थान की अक्षांश रेखीय स्थिति क्या होगी।
(a) 90º N (b) 45º E (c) 45º N (d) 85º
Ans-(c)
2- किसी भी स्थान की देशान्तरीय स्थिति क्या होगी। (a) 85ºN (b) 181º E (c) 90º w (d) कोई नहीं।
Ans- (c)
- हमारी पृथ्वी अपने अक्ष पर 24 घण्टे में घूमती है।
- समय के मामले में पश्चिम-पूर्व जाने पर समय बढ़ेगा।
तिथि परिवर्तन :-
- रात्रि के 12 बजे।
- 1800 देशान्तर को पार करने पर।
- प्श्चिम से पूर्व की तरफ समय बढ़ता जायेगा।
- पूर्व से पश्चिम की तरफ समय घटता जायेगा।
- दो देशान्तर रेखा के अन्तराल में यदि 15º Time Zone (Hour Circleका अन्तर हो तो उसे घण्टा वृत्त) कहते हैं।
- पृथ्वी को 24 Time Zoneमें बाँटा गया है।
- जिस देशान्तर रेखा पर सूर्य की किरणें लम्बवत पड़ रही है या 90º का कोण बनाती है उस बिन्दु को Sub Solar Point (अधः सौर बिन्दु) कहते हैं।
- चूंकि पृथ्वी पश्चिम से पूर्व घूमती है जिससे Sub Solar Point पूर्व से पश्चिम बढ़ेगा।
- 0ºदेशान्तर पर जब सूर्य की किरणें लम्बवत होगी तो यह मध्यान (दोपहर के 12 बजे) होगा। इसीलिए 0º रेखा को Noon Meridian कहा जाता है। इसी समय 180º देशानतर पर अर्द्धरात्रि होगी इसीलिए इसकोMid night Meridian कहा जाता है।
- अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा को तीन जगहों पर मोड़ा गया है ऐसा इसलिए किया गया है जिससे एक ही स्थान विभिन्न समय होने की परेशानी न हो।
1- 66ºN पूर्व की ओर इस रेखा को मोड़ा गया है जिससे साइबेरिया और बेरिंग जल सन्धि में समय का अन्तर न हो।
2- 55ºN- पश्चिम में यह रेखा इसलिए मोडत्री गयी है जिससे अलास्का और अलसुमन द्वीप में समय के निर्धारण में कोई परेशानी न हो।
3- 55º पूर्व में जिससे गणना ठीक प्रकार से हो सके।
- 180º के पूर्व नये दिन की शुरुवात होती है तथा 180º के पश्चिम पुराना दिन प्रवेश करता है।
(स्थानीय समय):-
प्रत्येक देशान्तर पर जहाँ भी सूर्य की किरणें 900 पर होती है उस देशानतर का स्थानीय समय कहलाता है।
(प्रमाणित समय):-
किसी भी देशानतर का प्रमाणिक समय वहाँ के स्थानीय समय दोनों तरफ पेटी में पाया जाता है।
- भारत की मानक समय रेखा 82.5º East इलाहाबाद के पास से होकर गुजरती है।
- विश्व में समय का निर्धारण ग्रीनविच से किया जाता है और हमारी मानक रेखा 82.5º East है, इसीलिए समय 5.5 घंटा अधिक होता है।
- अन्र्तराष्ट्रीय तिथि रेखा का निर्धारण 1884 ई0 में प्रो0 डेविडसन महोदय ने U.S.A के वाशिंगटन डी0सी0 नामक स्थान पर एक संगोष्ठी में 150 अन्तराल पर विश्व को 24 Time Zoneमें विभाजित किया और अन्र्राष्ट्रीय तिथि रेखा का निर्धारण किया।
- सैद्धान्तिक रूप में जब कोई व्यक्ति पूर्व से पश्चिम की तरफ (अमेरिका से एशिया की तरफ) चलता है तो एक दिन की वृद्धि करता है।
- जब कोई व्यक्ति पश्चिम से पूर्व ब्। एशिया से अमेरिका की तरफ जा रहा तो एक दिन कम कर लेता है।
- व्यवहारिता जब कोई व्यक्ति पूर्व से पश्चिम जाता है (एशिया से अमेरिका) तो एक दिन गैप (अन्तराल) करता है। जैसे-रविवार की जगह सोमवार नही बल्कि मंगलवार)
- जब कोई नाविक पश्चिम से पूर्व की तरफ चलता है तो सोमवार को सोमवार ही लिखता है।