पंचायती राज व्यवस्था से सम्बंधित बिभिन्न समितियां

पंचायती राज व्यवस्था की शुरुआत चोल काल से ही मानी जाती है । ग्रामीण स्थानीय स्वशासन को ही पंचायती राज कहा जाता है । भारत मे पंचायती राज वायसराय लार्ड रिपन (1880-84) के शासन काल मे लाया गया ।

डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर के अनुसार पंचायतीराज से लोगो मे सामंतवादी, पुरुषवादी जैसी विचारधारा आएगी । अम्बेडकर जी पंचायती राज के पक्षधर नही थे । जब कि गांधी जी, राजेन्द्र प्रसाद, लाला लाजपत इसके पक्षधर थे ।

 

बलवन्त राय मेहता समिति

बलवन्त राय मेहता समिति के अनुसार त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था में सबसे निचले स्तर पर ग्राम पंचायत’ प्रखण्ड स्तर पर पंचायत समिति’ और जिला स्तर पर जिला परिषद् के गठन का सुझाव देने के साथ-साथ यह सिफारिश भी की थी कि लोकतान्त्रिक विकेन्द्रीकरण की शुरुआत पंचायत समिति के स्तर पर होनी चाहिए।

बलवन्त राय मेहता समिति जो कि वर्ष 1957 में गठित की गई थी। सामुदायिक विकास कार्यक्रम के असफल हो जाने के बाद पंचायती राज व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए इस समिति का गठन किया गया था। वर्ष 1957 के अन्त में बलवन्त राय मेहता समिति में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। इस समिति के
अनुसार गाँव से लेकर जिला तक त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था का सुझाव दिया। राय समिति ने इसे लोकतान्त्रिक विकेन्द्रीकरण की संज्ञा दी।

राष्ट्रीय विकास परिषद् ने 12 जनवरी, 1958 को बलवन्त राय मेहता समिति की प्रजातान्त्रिक विकेन्द्रीकरण की सिफारिशों को स्वीकार करते हुए राज्यों से इसे कार्यान्वित करने के लिए कहा। बलवन्त राय मेहता समिति को पंचायती राजव्यवस्था का जनक, शिल्पकार या वास्तुकार कहा जाता है। सबसे पहले अगस्त 1958 में आन्ध्र प्रदेश में प्रायोगिक तौर पर पंचायती राजव्यवस्था को लागू किया गया। तत्कालीन प्रधानमन्त्री ने 2 अक्टूबर, 1959 को राजस्थान के नागौर जिले में पंचायती राज व्यवस्था की आधिकारिक शुरुआत की और इसी दिन इसे सम्पूर्ण राजस्थान में लागू कर दिया गया।

अशोक मेहता समिति

  • इस समिति का गठन वर्ष 1977 में किया गया था।
  • इस समिति में कुल 13 सदस्य थे।
  • अशोक मेहता समिति ने अपने प्रस्तुत रिपोर्ट में दो स्तरीय पंचायतों के गठन का सुझाव दिया।
  • इस समिति के अनुसार दो स्तरीय पंचायत-मण्डल पंचायत, जिला पंचायत होगा।
  • इस समिति के अनुसार, एक न्याय पंचायत जिसका अध्यक्ष कोई न्यायाधीश होना चाहिए तथा इसमें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को उचित रूप से प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए।
  • इस समिति के अनुसार चुनाव दलगत आधार पर होना चाहिए।

जी. वी. के. राव समिति की रिपोर्ट

  • वर्ष 1985 में राजीव गाँधी की सरकार ने पंचायती राज को और सुदृढ बनाने के लिए, जी.वी.के. राव समिति का गठन किया। इस समिति के अनुसार योजना निर्माण में केन्द्रीयकरण नहीं होना चाहिए।
  • इस समिति के अनुसार जिला स्तर पर जिला आयुक्त का सृजन होना चाहिए।
  • इस समिति में चार-स्तरीय पंचायत की बात कही उन्होंने राज्य स्तर पर

लक्ष्मीकांत सिंघवी समिति की रिपोर्ट

1986 में राजीव गांधी की सरकार ने लक्ष्मीकांत सिंघवी समिति का गठन किया इस समिति ने निम्न सिफारिशें की —

  • इस समिति ने त्रिस्तरीय पंचायत के गठन का सुझाव दिया ग्राम पंचायत, खण्ड पंचायत और जिला पंचायत ।
  • इस समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि पंचायतो को संवैधानिक दर्जा दिया जाना चाहिए और राज्य वित्त आयोग का गठन किया जाना चाहिए ।

बर्तमान में देश मे ढाई लाख से अधिक पंचायते है जिसमे से लगभग 2.39 लाख ग्राम पंचायते, 6904 ब्लॉक् पंचायते और 589 जिला पंचायत शामिल है । बर्ष 1952 में सामुदायिक विकास कार्यक्रम की सुरुआत की गई ।

बलवंतराय मेहता समिति ने त्रिस्तरी पंचायती राज प्रणाली, अशोक मेहता ने द्विस्तरीय पंचायती राज प्रणाली तथा लक्ष्मी कांत सिंघीवी ने संबैधानिक दर्जा देने की सिफारिश की थी ।।

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