Indian Constitution

पंचायती राज व्यवस्था से सम्बंधित बिभिन्न समितियां

पंचायती राज व्यवस्था की शुरुआत चोल काल से ही मानी जाती है । ग्रामीण स्थानीय स्वशासन को ही पंचायती राज कहा जाता है । भारत मे पंचायती राज वायसराय लार्ड रिपन (1880-84) के शासन काल मे लाया गया । डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर के अनुसार पंचायतीराज से लोगो मे सामंतवादी, पुरुषवादी जैसी विचारधारा आएगी । अम्बेडकर जी …

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लोक सेवा आयोग

Public Service Commission चीन ने सर्वप्रथम प्रतियोगी परीक्षाएँ करवायी। 1853 के Act. में इंग्लैंण्ड में प्रतियोगी परीक्षा का प्रावधान था। 1919 के Act.में केन्द्र से राज्यों के लिए अलग-अलग आयोगों का प्रावधान था। 1926 में सर रो बार्कर की अध्यक्षता में लोक सेवा आयोग गठन हुआ। 1935 के Act. में केन्द्र एवं राज्यों के लिए …

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संवैधानिक बिकास

रेग्यूलेटिंग एक्ट, 1973 ईस्ट इंडिया पर संसदीय नियंत्रण की शुरूआत| बंगाल के गवर्नर को,बम्बई तथा मद्रास तीनो प्रेसिडेंसीयों का गवर्नर जनरल बनाया गया| गवर्नर जनरल चार सदस्यीय परिषद की सहायता में कार्यरत था|परिषद के सदस्य सीधे सम्राट द्धारा नियुक्त होते थे और सम्राट ही उन्हें पदच्युत कर सकता था| मद्रास और बम्बई के गवर्नर अपनी …

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हाईकोर्ट,न्यायिक पुनरावलोकन,जनहितवाद,महान्यायवादी,महाधिवक्ता

संविधान के भाग-6 में, अनु0 214 से 231 तक हाईकोर्ट का प्रावधान है। अनु0 214 के अनुसार प्रत्येक राज्य के लिए एक उच्च न्यायालय होगा। अनु0 230 के अनुसार संसद विधि बनाकर किसी उच्च न्यायालय की अधिकारिता का विस्तार संघ राज्य तक कर सकता है। अनु0 231 के अनुसार संसद विधि बनाकर दो या अधिक राज्यों के लिए …

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निर्वाचन आयोग (Election Commission)

निर्वाचन आयोग (Election Commission) निर्वाचन आयोग का प्रावधान भारतीय संविधान के भाग 15 में अनुच्छेद 324 से अनु0 329 तक है। भारत में प्रतिनिधि लोकतंत्र है जिसमें जनता द्वारा निर्वाचित जन प्रतिनिधि शासन में भाग लेते हैं। अतः जन प्रतिनिधियों का चुनाव निष्पक्ष ढंग से हो सके इसके लिए संविधान के अनुच्छेद 324 में स्वतंत्र …

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राज्यपाल

भारत में केन्द्र और राज्य दोनों स्तरों पर संसदीय शासन प्रणाली स्वीकार की गयी है। संसदीय शासन प्रणाली में दोहरी कार्यपालिका पायी जाती है। प्रथम-प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री के नेतृत्व में वास्तविक कार्यपालिका/द्वितीय-राष्ट्रपति या राज्यपाल के नेतृत्व में नाममात्र की कार्यपालिका। अनु0 153 में कहा गया है कि प्रत्येक राज्य के लिए एक राज्यपाल होगा। अनु0 …

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राज्यसभा के कार्य और शक्तियां अथवा अधिकार

राज्यसभा की रचना लोकसभा के सहयोगी और सहायक सदन के रूप में की गयी है। राज्यसभा में कार्य और शक्तियों का अध्ययन निम्नलिखित रूपों में किया जा सकता है:    (1) विधायी शक्तियां:-लोकसभा के साथ-साथ राज्यसभा भी विधि निर्माण सम्बन्धी कार्य करती है। संविधान के द्वारा अवित्तीय विधेयकों के सम्बन्ध में लोकसभा और राज्यसभा दोनों …

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न्यायपालिका एंव सर्वोच्च न्यायालय

भारत में एकीकृत न्यायपालिका है जबकि अमेरिका में केन्द्र और राज्य स्तरों पर अलग-अलग दोहरी न्यायपालिका है। भारत में संवधिान सर्वोच्च है जबकि अमेरिका में न्यायपालिका भी सर्वोच्च है। इसीलिए अमेरिकन व्यवस्था के बारे में कहा जाता है कि यहाँ संविधान वही है जिसे जज कहते हैं। 1773 के अधिनियम में बंगाल के लिए एक सर्वोच्च …

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राज्यसभा की रचना या संगठन

राज्यसभा की रचना या संगठन (Composition of Rajya Sabha) राज्यसभा भारतीय संसद का द्वितीय या उच्च सदन है। इसे लोकसभा की तुलना में कम शक्तियां प्राप्त हैं, लेकिन फिर भी इसका अपना महत्व और उपयोगिता है: सदस्य संख्या और निर्वाचन पद्धति:- राज्यसभा के सदस्यों की अधिक से अधिक संख्या 250 हो सकती है, परन्तु वर्तमान समय में …

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लोकसभा की शक्तियां अथवा अधिकार और कार्य

लोकसभा की शक्तियां अथवा अधिकार और कार्य भारतीय संसद के दो सदनों में लोकसभा लोकप्रिय सदन है, क्योंकि इसके गठन का आधार जनसंख्या है और लोकसभा के सदस्यों को जनता के द्वारा प्रत्यक्ष निर्वाचन के आधार पर निर्वाचित किया जाता है। संसदीय व्यवस्था का यह निश्चित सिद्धान्त है कि कानून निर्माण और प्रशासन पर नियन्त्रण …

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