म्यूचुअल फंड निवेशक जोखिम को ठीक तरह से पहचान सकें, इसके लिए बाजार नियामक सेबी ने जोखिम मापने के पैमाने में बदलाव किया है। म्यूचुअल फंड में जोखिम को बताने वाले रिस्क-ओ-मीटर में इसने अब एक नई कैटेगरी जोड़ी गई है।
- निम्न जोखिम (Low Risk)
- निम्न से मध्यम जोखिम
- मध्यम जोखिम (Moderate Risk)
- मध्यम उच्च जोखिम
- उच्च जोखिम (High Risk)
- बहुत अधिक जोखिम
1 जनवरी से शुरू होने वाले सभी म्यूच्यूअल फंड अपनी योजनाओं की विशेषताओं के आधार पर लांच के समय अपनी योजनाओं के लिए एक जोखिम स्तर प्रदान करते हैं। फंड हाउसों को अपनी वेबसाइटों के साथ-साथ एसोसिएशन आफ म्युचुअल फंड इन इंडिया की वेबसाइट पर अपनी सभी योजनाओं के लिए पोर्टफोलियो का प्रकटीकरण के साथ रिस्कोमीटर जो के अस्तर का खुलासा हर महीने के अंत के 10 दिन पहले करना आवश्यक है. किसी योजना के साथ संबंध में रिस्कोमीटर रीडिंग में कोई परिवर्तन होने पर इस योजना के यूनिट धारकों को सूचित किया जाएगा इस कदम से निवेशकों को अधिक जानकारी युक्त निवेश निर्णय में मदद मिलेगी।
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Risk o Meter रिस्क ओ मीटर का कार्य
म्यूचुअल फंड निवेशक जोखिम को ठीक तरह से पहचान सकें, इसके लिए बाजार नियामक सेबी ने जोखिम मापने के पैमाने में बदलाव किया है। म्यूचुअल फंड में जोखिम को बताने वाले रिस्क-ओ-मीटर में इसने अब एक नई कैटेगरी जोड़ी गई है। हालांकि, वित्तीय विशेषज्ञों का कहना है कि सिर्फ रिस्क-ओ-मीटर के भरोसे म्यूचुअल फंड निवेश करना घाटे का सौदा हो सकता है। ऐसा इसलिए कि यह नया पैमाना किसी फंड के जोखिम के बारे में बताता है। वह उस फंड की पूरी जानकारी नहीं देता है। इसलिए सिर्फ इसको देखकर निवेश करना सही नहीं होगा।